एक दरख़्वास्त-अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi,
एक दरख़्वास्त-अहमद नदीम क़ासमी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmad Nadeem Qasmi, ज़िंदगी के जितने दरवाज़े हैं मुझ पे बंद हैं देखना हद्द-ए-नज़र से आगे बढ़ कर देखना भी जुर्म है सोचना अपने अक़ीदों और यक़ीनों से निकल कर सोचना भी जुर्म है आसमाँ-दर-आसमाँ असरार की परतें हटा कर झाँकना भी जुर्म है …