उस हाथ में थे बाज़ू-ए–गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi ,
उस हाथ में थे बाज़ू-ए–गंज-ए-शहीदां -अल्लाह यार ख़ां -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Allah Yar Khan Jogi , उस हाथ में थे बाज़ू-ए-गोबिन्द के कसबल । फ़रज़न्द की तलवार से थर्रा गए जल थल । ज़िन्दों का तो क्या ज़िक्र है मुरदे हुए बेकल । शमशान में था शोर मज़ारों में थी …