उसतति निंदा दोऊ बिबरजित तजहु मानु अभिमाना-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji

उसतति निंदा दोऊ बिबरजित तजहु मानु अभिमाना-शब्द-कबीर जी -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kabir Ji उसतति निंदा दोऊ बिबरजित तजहु मानु अभिमाना ॥ लोहा कंचनु सम करि जानहि ते मूरति भगवाना ॥१॥ तेरा जनु एकु आधु कोई ॥ कामु क्रोधु लोभु मोहु बिबरजित हरि पदु चीन्है सोई ॥१॥ रहाउ ॥ रज गुण …

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