अकर्ता -शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra

अकर्ता -शरीर कविता फसलें और फूल-भवानी प्रसाद मिश्र-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Bhawani Prasad Mishra   तुम तो जब कुछ रचोगे तब बचोगे मैं नाश की संभावना से रहित आकाश की तरह असंदिग्ध बैठा हूँ !