जिसके चरण-चरण (बुद्ध मुझे, अंधकार से निकालें)- अजय शोभने

जिसके चरण-चरण (बुद्ध मुझे, अंधकार से निकालें)- अजय शोभने जिसके चरण-चरण हों, करुणा से गर्वित, मुझको बस ऐसा, सम्यक सम्बुद्ध चाहिए ! छला गया हूँ, अंधश्रद्धा-अंधविश्वासों से, बस अब तो सत्य-मार्ग का ज्ञाता चाहिए ! शील, समाधी, प्रज्ञा, से भवन हो निर्मित, मुझको अपना वो, स्वर्णिम तीर्थ चाहिए ! जिसके चरण-चरण हों, करुणा से गर्वित, …

Read more

तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया (इंसानियत का मार्ग)- अजय शोभने

तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया (इंसानियत का मार्ग)- अजय शोभने तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया, इंसान ही तुमको बनना है, राह कठिन है सच्चाई की, और तुमको उस पर चलना है। सहनशीलता बनी रहे जीवन में, ईर्ष्या का न भाव रहे, हमें मिला है, मिले सभी को, हृदय में ऐसी चाह रहे। कष्टकंटकों में हो …

Read more

जीवन में मधुसम प्रेम घोल (प्रकृति-प्रेम)- अजय शोभने

जीवन में मधुसम प्रेम घोल (प्रकृति-प्रेम)- अजय शोभने जीवन में मधुसम प्रेम घोल, ऊँचे स्वर में न इतना बोल, अपने को न अधिक तोल, जीवन में मधुसम प्रेम घोल ! सूरज ने नित आकर, धरणी पर किरणें डाली, पृथ्वी ने खुश हो, निजगोद में हरियाली पाली ! शीतल समीर संग, झूम उठी, फूलों की डाली, …

Read more

सावित्रीबाई फुले (युवा नारी को पैगाम)- अजय शोभने

सावित्रीबाई फुले (युवा नारी को पैगाम)- अजय शोभने ‘सावित्रीबाई फुले’ बन, शौर्य को परवान दो, नई सदी में राष्ट्र को आनबान और शान दो ! नष्ट कर दो कुत्सित भरे विचार दासता के, जो लिंग के आधार पर मिथ्या गुमान करते ! चूर–चूर कर दो अभिमान उन दम्भियों के, जो प्रेमबंधन में, दानदहेज की मांग …

Read more

संध्या की इस गोधूली में (बाबा साहब का संघर्ष)- अजय शोभने

संध्या की इस गोधूली में (बाबा साहब का संघर्ष)अजय शोभने संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है, कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है । ‘जातिवाद’ से लड़ने की ऐसी वो अमिट कहानी है, संघर्षों की वेदि पर बलि कर दी वही ‘जिन्दगानी’ है …

Read more

मेरे पथ के बोधि दीप- अजय शोभने

मेरे पथ के बोधि दीप | (प्रकृति का उच्चतम ज्ञान) मेरे पथ के बोधि दीप, तू अंधकार हर, प्रकाश कर।  अखंड और अविरल जल, मेरा पगपग विकास कर। मेरा …    तेरे प्रकाश में सत्य और अहिंसा के पथ-चलूँ, खुद दीपक बनकर, औरों को प्रकाशित करूँ। परोपकारी-जीवन जियूं और सदा होश में रहूँ, वासना के वशीभूत …

Read more

कविता हिंदी में

कविता हिंदी में मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे- अदम गोंडवी Adam Gondvi Hindi Poetry | अदम गोंडवी रचनाएँ Adam Gondvi Hindi Misc. Poetry | विविध रचनाएँ अदम गोंडवी  आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है ज़िन्दगी- अदम गोंडवी हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये- अदम गोंडवी गर चंद तवारीखी तहरीर …

Read more

मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे- अदम गोंडवी

धरती की सतह पर अदम गोंडवीDharti Ki Satah Par Adam Gondvi मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे मानवता का दर्द लिखेंगे, माटी की बू-बास लिखेंगे ।हम अपने इस कालखण्ड का एक नया इतिहास लिखेंगे । सदियों से जो रहे उपेक्षित श्रीमन्तों के हरम सजाकर,उन दलितों की करुण कहानी मुद्रा से रैदास लिखेंगे । …

Read more

Adam Gondvi Hindi Poetry | अदम गोंडवी रचनाएँ

Best Adam Gondvi Hindi Poetry | अदम गोंडवी रचनाएँ हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये- अदम गोंडवी गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे – अदम गोंडवी मैं चमारों की गली में ले चलूंगा आपको-अदम गोंडवी पूछते रहते हैं मुझसे लोग अकसर यह सवाल-अदम गोंडवी Samay Se Muthbhed Adam Gondvi | समय से मुठभेड़ …

Read more

Adam Gondvi Hindi Misc. Poetry | विविध रचनाएँ अदम गोंडवी 

Adam Gondvi Hindi Misc. Poetry | विविध रचनाएँ अदम गोंडवी हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये- अदम गोंडवी गर चंद तवारीखी तहरीर बदल दोगे – अदम गोंडवी मैं चमारों की गली में ले चलूंगा आपको-अदम गोंडवी पूछते रहते हैं मुझसे लोग अकसर यह सवाल-अदम गोंडवी Samay Se Muthbhed Adam Gondvi | समय से …

Read more