जिसके चरण-चरण (बुद्ध मुझे, अंधकार से निकालें)- अजय शोभने
जिसके चरण-चरण (बुद्ध मुझे, अंधकार से निकालें)- अजय शोभने जिसके चरण-चरण हों, करुणा से गर्वित, मुझको बस ऐसा, सम्यक सम्बुद्ध चाहिए ! छला गया हूँ, अंधश्रद्धा-अंधविश्वासों से, बस अब तो सत्य-मार्ग का ज्ञाता चाहिए ! शील, समाधी, प्रज्ञा, से भवन हो निर्मित, मुझको अपना वो, स्वर्णिम तीर्थ चाहिए ! जिसके चरण-चरण हों, करुणा से गर्वित, …