Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita के मदमाते आए  पंचम ताल ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -1 ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -4 ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -3 ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -2 होली- त्रिलोक सिंह ठकुरेला कामना के थाल-त्रिलोक सिंह ठकुरेला होली-ऐ फागुन आ रही हो …

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ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -1

ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -1 अरी पकड़ौ री ब्रजनार अरी पकड़ौ री ब्रजनार, कन्हैया होरी खेलन आयो है, होरी खेलन आयो है, होरी खेलन आयो है, अरी पकड़ौ री ——- संग में हैं उत्पाती बाल, ऐंठ के चले अदा की चाल, हाथ पिचकारी फेंट गुलाल कमोरी, कमोरी रंगन की भर लायो है, …

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ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -4

ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -4   होली खेलन पधारे नन्दलाल होली खेलन पधारे नन्दलाल, सखी री बरसाने में, बरसे-बरसे रे केसर गुलाल, सखी री बरसाने में। ग्वालन की टोली बरसाने आई, पीछे-पीछे गोप चले, आगे कन्हाई, आए उड़ाते गुलाल, सखी री —– चंग बजावें जी धूम मचावें, राधा से पहले हमको रिझावें, …

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ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -3

ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -3   बसन्ती रंगवाय दूँगी बसन्ती रंगवाय दूँगी जा लाँगुरिया की टोपी॥ जो लाँगुर तौपै कपड़ा नाँयें, जो लाँगुर तौपे… कपड़ा तोय दिवाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी…॥ बसन्ती रंगवाय दूँगी. जो लाँगुर तोपे सिमाई नायें, जो लाँगुर, सिमाई मैं मरवाय दूँगी, जा लाँगुरिया की टोपी…॥ बसन्ती रंगवाय …

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ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -2

ब्रजभाषा लोकगीत होरी | ब्रजभाषा लोकगीत होली -2 जमुना तट श्याम खेलत होरी जमुना तट श्याम खेलत होरी, जमुना तट। केसर कुमकुम कुसुम सजावत ग्वाल पुकारत, होरी है होरी, जमुना तट। खेलन आयो होरी बरजोरी, अबीर गुलाल लिए झोरी, जमुना तट। अबीर गुलाल मल्यो मुख मोरे, पकरि बाँह मोरी झकझोरी, जमुना तट। दौड़ि दौड़ि पिचकारी …

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होली- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

होली- त्रिलोक सिंह ठकुरेला   होली है सुखदायिनी, रस बरसे हर ओर। ढोल नगाड़े बज रहे, गली गली में शोर।। गली गली में शोर, छा रही नई जवानी। भूले लोक- लिहाज, कर रहे सब मनमानी। ‘ठकुरेला’ कविराय, मधुरता ऐसी घोली। मन में बजे मृदंग, थिरकती आई होली।। *** होली आई छा गई, मन में नई उमंग। …

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कामना के थाल-त्रिलोक सिंह ठकुरेला

कामना के थाल-त्रिलोक सिंह ठकुरेला   आ गया फागुन सजाकर कामना के थाल । चपल नयनों ने लुटाया फिर नया अनुराग, चाह की नव-कोंपलों से खिल उठा मन-बाग़, इंद्रधनुषी आवरण में मुग्ध हैं दिक्पाल । धरा के हर पोर को छूने लगी मधु गंध, शिथिलता के पक्ष में हैं लाज के अनुबंध, बांधते आकर्षणों में …

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होली-ऐ फागुन आ रही हो आना-दीपक सिंह

होली-ऐ फागुन आ रही हो आना-दीपक सिंह   ऐ फागुन आ रही हो आना, आके धरा पे रंग बरसाना। गलियों में जब रंग उड़ेंगे, रंगों में उमंग दिखाना।। पीला रंग प्रीति ले आना, लाल वीरों की निशानी बताना। हरा रंग सिंचित जमीं है, गुलाबी को प्रेम कहानी बताना।। ऐ फागुन आ रही हो आना, आके …

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अवध की होली-दीपक सिंह

अवध की होली-दीपक सिंह   देवता भी तरसते हैं, हनुमत हुंकार करते हैं। झुका के शीश चरणों में, जयकार करते हैं।। सतरंगी चुनर ओढ़े, अवध की शान तो देखो। अवध जैसी होली कहां, यही सरकार रहते हैं।। प्रेम का रंग मीरा है, प्रेम का रंग राधा है। गुलालो की महफिल में, लगा रंग आधा आधा …

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होली-गोलेन्द्र पटेल

होली-गोलेन्द्र पटेल   फाल्गुनी लोरी की लय में होरी सुना रही है आँगन में बन रही है रंगोली खुब उड़ रही है रोरी चेहरे पर अबीर ही अबीर है रूप में रंग ही रंग एक बोली होली गाती थी होली गाना सिर्फ़ उसी को ही आता था उसका नाम है ब्रज!