हिन्दी-जय हिंदी, जय : भारती त्रिलोक सिंह ठकुरेला-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

हिन्दी-जय हिंदी, जय  भारती -त्रिलोक सिंह ठकुरेला-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita हिन्दी-जय हिंदी, जय  भारती हिन्दी भाषा अति सरल, फिर भी अधिक समर्थ। मन मोहे शब्दावली, भाव, भंगिमा, अर्थ।। भाव, भंगिमा, अर्थ, सरल है लिखना, पढ़ना। अलंकार, रस, छंद, और शब्दों का गढ़ना। ‘ठकुरेला’ कविराय, सुशोभित जैसे बिंदी। हर प्रकार सम्पन्न, हमारी भाषा हिन्दी।। *** …

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हिन्दी भाषा अति सरल – त्रिलोक सिंह ठकुरेला-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

हिन्दी भाषा अति सरल – त्रिलोक सिंह ठकुरेला-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita जय हिंदी, जय भारती सरल, सरस भावों की धारा, जय हिन्दी, जय भारती । शब्द शब्द में अपनापन है, वाक्य भरे हैं प्यार से, सबको ही मोहित कर लेती हिन्दी निज व्यवहार से, सदा बढ़ाती भाई-चारा, जय हिंदी, जय भारती । नैतिक मूल्य …

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हिंदी है भारत की बोली-गोपाल सिंह नेपाली-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

हिंदी है भारत की बोली-गोपाल सिंह नेपाली-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita हिंदी है भारत की बोली दो वर्तमान का सत्‍य सरल, सुंदर भविष्‍य के सपने दो हिंदी है भारत की बोली तो अपने आप पनपने दो यह दुखड़ों का जंजाल नहीं, लाखों मुखड़ों की भाषा है थी अमर शहीदों की आशा, अब जिंदों की अभिलाषा …

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हिंदी जन की बोली है -गिरिजा कुमार माथुर-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

हिंदी जन की बोली है -गिरिजा कुमार माथुर-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita  हिंदी जन की बोली है एक डोर में सबको जो है बाँधती वह हिंदी है, हर भाषा को सगी बहन जो मानती वह हिंदी है। भरी-पूरी हों सभी बोलियां यही कामना हिंदी है, गहरी हो पहचान आपसी यही साधना हिंदी है, सौत विदेशी …

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अपनी भाषा | मेरी भाषा – मैथिलीशरण गुप्त–Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

अपनी भाषा | मेरी भाषा – मैथिलीशरण गुप्त–Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita अपनी भाषा करो अपनी भाषा पर प्यार । जिसके बिना मूक रहते तुम, रुकते सब व्यवहार ।। जिसमें पुत्र पिता कहता है, पतनी प्राणाधार, और प्रकट करते हो जिसमें तुम निज निखिल विचार । बढ़ायो बस उसका विस्तार । करो अपनी भाषा पर …

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मीठी बोली -अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

मीठी बोली -अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ मीठी बोली बस में जिससे हो जाते हैं प्राणी सारे। जन जिससे बन जाते हैं आँखों के तारे। पत्थर को पिघलाकर मोम बनानेवाली मुख खोलो तो मीठी बोली बोलो प्यारे। रगड़ो, झगड़ो का कडुवापन खोनेवाली। जी में लगी हुई काई को धानेवाली। सदा जोड़ देनेवाली जो टूटा नाता मीठी बोली …

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भाषा – अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

भाषा – अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita   भाषा जातियाँ जिससे बनीं, ऊँची हुई, फूली फलीं। अंक में जिसके बड़े ही गौरवों से हैं पलीं। रत्न हो करके रहीं जो रंग में उसके ढलीं। राज भूलीं, पर न सेवा से कभी जिसकी टलीं। ऐ हमारे बन्धुओ! जातीय भाषा है वही। है सुधा की …

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हिन्दी भाषा -अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita

हिन्दी भाषा -अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita हिन्दी भाषा पड़ने लगती है पियूष की शिर पर धारा। हो जाता है रुचिर ज्योति मय लोचन-तारा। बर बिनोद की लहर हृदय में है लहराती। कुछ बिजली सी दौड़ सब नसों में है जाती। आते ही मुख पर अति सुखद जिसका पावन नामही। इक्कीस कोटि-जन-पूजिता हिन्दी …

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मातृभाषा के प्रति प्रेम-दोहे-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By-भारतेंदु हरिश्चंद्र

मातृभाषा के प्रति प्रेम-दोहे –Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita By-भारतेंदु हरिश्चंद्र मातृभाषा प्रेम-दोहे निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल। अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन। उन्नति पूरी है तबहिं जब घर उन्नति होय निज …

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