Tehzeeb Hafi-Ghazals Part 3
तेरा चेहरा तेरे होंठ और पलकें देखें
तेरा चेहरा तेरे होंठ और पलकें देखें
दिल पे आँखें रक्खे तेरी साँसें देखें
मेरे मालिक आप तो ऐसा कर सकते हैं
साथ चले हम और दुनिया की आँखें देखें
साल होने को आया है वो कब लौटेगा
आओ खेत की सैर को निकले कुंजें देखें
हम तेरे होंठों को लरजिश कब भूलें हैं
पानी में पत्थर फेंकें और लहरें देखें
कितनी रातें काट चुका हूँ पर वो वस्ल का दिन
कितनी रातें काट चुका हूँ पर वो वस्ल का दिन
इस दरिया से पहले कितने जंगल आते हैं
हमें तो नींद भी आती है तो आधी आती है
वो कैसे हैं जिनको ख़्वाब मुकम्मल आते हैं
इस रस्ते पर पेड़ भी आते हैं उसने पूछा
जल कर ख़ुशबू देने वाले संदल आते हैं
कौन है जो इस दिल में ख़ामोशी से उतरेगा
देखो इस आवाज़ पे कितने पागल आते हैं
इक से भड़ कर एक सवारी अस्प-औ-फील भी है
जाने क्यों हम तेरी ज़ानिब पैदल आते हैं
मुझको दरवाजे पर ही रोक लिया जाता है
मुझको दरवाजे पर ही रोक लिया जाता है
मेरे आने से भला आप का क्या जाता है
तुम अगर जाने लगे हो तो पलट कर मत देखो
मौत लिखकर तो कलम तोड़ दिया जाता है
तुझको बतलाता मगर शर्म बहुत आती है
तेरी तस्वीर से जो काम लिया जाता है
मुझसे मत पूछो कि मुझको और क्या क्या याद है
मुझसे मत पूछो कि मुझको और क्या क्या याद है
वो मेरे नज़दीक आया था बस इतना याद है
यूँ तो दश्ते-दिल में कितनों ने क़दम रक्खे मग़र
भूल जाने पर भी एक नक़्श-ए-कफ़-ए-पा याद है
उस बदन की घाटियाँ तक नक़्श हैं दिल पर मेरे
कोहसारों से समंदर तक को दरिया याद है
मुझसे वो काफ़िर मुसलमाँ तो न हो पाया कभी
लेकिन उसको वो तरजुमे के साथ कलमा याद है
ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करे
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करे
मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करे
मेरी दुआ है और इक तरह से बद्दुआ भी है
ख़ुदा तुम्हें तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे
बना चुका हूँ मैं मोहब्बतों के दर्द की दवा
अगर किसी को चाहिए तो मुझसे राब्ता करे