Samay Se Muthbhed Adam Gondvi | समय से मुठभेड़ अदम गोंडवी
‘समय से मुठभेड़’ संग्रह में ज़्यादातर ग़ज़लें हैं । ‘धरती की सतह पर’
- बेचता यूँ ही नहीं है आदमी ईमान को-अदम गोंडवी
- ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में-अदम गोंडवी
- वह सिपाही थे न सौदागर थे न मजदूर थे-अदम गोंडवी
- मैंने अदब से हाथ उठाया सलाम को-अदम गोंडवी
- बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है-अदम गोंडवी
- भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है-अदम गोंडवी
- आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे-अदम गोंडवी
- जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे-अदम गोंडवी
- ये अमीरों से हमारी फ़ैसलाकुन जंग थी-अदम गोंडवी
- जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए-अदम गोंडवी
- काजू भुने पलेट में, विस्की गिलास में -अदम गोंडवी
- जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में -अदम गोंडवी
- भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो-अदम गोंडवी
- किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी -अदम गोंडवी
- घर में ठण्डे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है -अदम गोंडवी
- जिस तरफ डालो नजर सैलाब का संत्रास है -अदम गोंडवी
- विकट बाढ़ की करुण कहानी नदियों का संन्यास लिखा है -अदम गोंडवी
- कविता हिंदी में लिखी हुई
- एशियाई हुस्न की तस्वीर है मेरी ग़ज़ल -अदम गोंडवी
- भुखमरी, बेरोज़गारी, तस्करी के एहतिमाम- अदम गोंडवी
- महज़ तनख़्वाह से निपटेंगे क्या नखरे लुगाइ के- अदम गोंडवी
- जितने हरामख़ोर थे कुर्बो-जवार में- अदम गोंडवी
- न महलों की बुलंदी से न लफ़्ज़ों के नगीने से- अदम गोंडवी
- बज़ाहिर प्यार को दुनिया में जो नाकाम होता है- अदम गोंडवी
- कब तक सहेंगे ज़ुल्म रफ़ीक़ो-रक़ीब के- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- वो जिसके हाथ में छाले हैं, पैरों में बिवाई है- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
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