हीरामन बेज़ार है उफ़्! किस कदर महँगाई से ।
आपकी दिल्ली में उत्तर-आधुनिकता आई है ।
टी० वी० से अख़बार तक हैं, जिस्म के मोहक कटाव,
ये हमारी सोच है, ये सोच की गहराई है ।
सबका मालिक एक है, रटते भी हैं, लड़ते भी हैं,
सदियों के संघर्ष से क्या दृष्टि हमने पाई है ।
जो व्यवस्था को बदलने के लिए बेताब थे,
क़ैद उनके बंगले में इस मुल्क की रानाई है ।
रहनुमा धृतराष्ट्र के पद-चिन्ह पर चलने लगे,
आप चुप बैठे रहें ये क़ौम की रुस्वाई है ।
(हीरामन=फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘तीसरी
क़सम’ का नायक, रानाई=सुन्दरता, क़ौम=
राष्ट्र, बदनामी=रुस्वाई)
धरती की सतह पर अदम गोंडवी | Dharti Ki Satah Par Adam Gondvi
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