मैंने अदब से हाथ उठाया सलाम को-अदम गोंडवी
मैंने अदब से हाथ उठाया सलाम को
समझा उन्होंने इससे है खतरा निजाम को
चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को
मैंने अदब से हाथ उठाया सलाम को
समझा उन्होंने इससे है खतरा निजाम को
चोरी न करें झूठ न बोलें तो क्या करें
चूल्हे पे क्या उसूल पकाएंगे शाम को
Comments are closed.
Pingback: जीवन में मधुसम प्रेम घोल (प्रकृति-प्रेम)- अजय शोभने – shayri.page