मेरे पथ के बोधि दीप | (प्रकृति का उच्चतम ज्ञान)
मेरे पथ के बोधि दीप, तू अंधकार हर, प्रकाश कर।
अखंड और अविरल जल, मेरा पगपग विकास कर। मेरा …
तेरे प्रकाश में सत्य और अहिंसा के पथ-चलूँ,
खुद दीपक बनकर, औरों को प्रकाशित करूँ।
परोपकारी-जीवन जियूं और सदा होश में रहूँ,
वासना के वशीभूत हो, कभी न अपचारी बनूँ।
मेरे-पथ के बोधि दीप, तू अंधकार हर, प्रकाश कर।
अखंड और अविरल जल, मेरा पगपग विकास कर। मेरा …
प्रकृति के प्रकोप आयें, तो तू मुझे परिपक्व कर,
लाभ-हानि, जन्म-मरण, निंदा-स्तुति में स्थिर रहूं।
काम-क्रोध-लोभ-मोह-अहंकार के बंधन में न बंधूं,
विचलित न होंऊं कभी, निजधम्म पर आरूढ़ रहूं।
मेरे-पथ के बोधि दीप, तू अंधकार हर, प्रकाश कर।
अखंड और अविरल जल, मेरा पगपग विकास कर। मेरा …
ओ! बोधि दीप तेरे समीप, सभी को ज्योति मिले,
धम्म के तेरे प्रताप से, हर पथिक का चेहरा खिले।
तेरे संघ की शरण में, आत्मज्ञान को संबल मिले,
भय-मुक्त हों सभी, सभी का निर्वाण प्रसस्त कर।
मेरे-पथ के बोधि दीप, तू अंधकार हर, प्रकाश कर।
अखंड और अविरल जल, मेरा पगपग विकास कर। मेरा …
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