भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो-अदम गोंडवी
भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो
या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो
जो ग़ज़ल माशूक के जल्वों से वाक़िफ़ हो गयी
उसको अब बेवा के माथे की शिकन तक ले चलो
मुझको नज़्मो-ज़ब्त की तालीम देना बाद में
पहले अपनी रहबरी को आचरन तक ले चलो
गंगाजल अब बूर्जुआ तहज़ीब की पहचान है
तिशनगी को वोदका के आचमन तक ले चलो
ख़ुद को ज़ख्मी कर रहे हैं ग़ैर के धिखे में लोग
इस शहर को रोशनी के बाँकपन तक ले चलो
- सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- घर में ठण्डे चूल्हे पर अगर ख़ाली पतीली है- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- जो ‘डलहौजी’ न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- मुक्तिकामी चेतना, अभ्यर्थना इतिहास की- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- जिस्म क्या है, रुह तक सब कुछ खुलासा देखिए- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
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