जे. पी. डारे जेल में,
ताको यह परिणाम,
पटना में परलै भई,
डूबे धरती धाम।
डूबे धरती धाम
मच्यो कोहराम चतुर्दिक,
शासन के पापन को
परजा ढोवे धिक-धिक।
कह कैदी कविराय
प्रकृति का कोप प्रबल है,
जयप्रकाश के लिए
धधकता गंगाजल है।
कैदी कविराय की कुण्डलियाँ अटल बिहारी वाजपेयी |Kaidi Kavirai Ki Kundliyan Atal Bihari Vajpeyi