चांद हैं, आफताब हैं बच्चे।
रोशनी की किताब हैं बच्चे।
अपने स्कूल जब ये जाते हैं,
ऐसा लगता गुलाब हैं बच्चे।
व्यास, सतलज सरीखे दरिया हैं,
रावी, झेलम, चिनाब हैं बच्चे।
अपनी मस्ती की राजधानी में,
अपने मन के नबाब हैं बच्चे।
जब कभी भी ये खिलखिलाते हैं,
ऐसा लगता रबाब हैं बच्चे।
जिनको संस्कार शुभ मिले हैं वे,
हर जगह कामयाब हैं बच्चे।
क्या फरिश्ते किसी ने देखे हैं?
कितना अच्छा जवाब हैं बच्चे।