किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी
किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी
कल के बदनाम अंधेरों पे मेहरबां होगी
खिले हैं फूल कटी छातियों की धरती पर
फिर मेरे गीत में मासूमियत कहाँ होगी
आप आयें तो कभी गाँव की चौपालों में
मैं रहूँ या न रहूँ भूख मेज़बां होगी
- भुखमरी की ज़द में है या दार के साये में है- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- चाँद है ज़ेरे-क़दम. सूरज खिलौना हो गया- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- उनका दावा, मुफ़लिसी का मोर्चा सर हो गया- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- जुल्फ – अंगडाई – तबस्सुम – चाँद – आईना -गुलाब- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद है- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- भूख के एहसास को शेरो-सुख़न तक ले चलो- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
- ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में- धरती की सतह पर अदम गोंडवी
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