हिंदू मूले भूले अखुटी जांही-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हिंदू मूले भूले अखुटी जांही-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हिंदू मूले भूले अखुटी जांही ॥
नारदि कहिआ सि पूज करांही ॥
अंधे गुंगे अंध अंधारु ॥
पाथरु ले पूजहि मुगध गवार ॥
ओहि जा आपि डुबे तुम कहा तरणहारु ॥२॥(556)॥