हिंदू कै घरि हिंदू आवै-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हिंदू कै घरि हिंदू आवै-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हिंदू कै घरि हिंदू आवै ॥
सूतु जनेऊ पड़ि गलि पावै ॥
सूतु पाइ करे बुरिआई ॥
नाता धोता थाइ न पाई ॥
मुसलमानु करे वडिआई ॥
विणु गुर पीरै को थाइ न पाई ॥
राहु दसाइ ओथै को जाइ ॥
करणी बाझहु भिसति न पाइ ॥
जोगी कै घरि जुगति दसाई ॥
तितु कारणि कनि मुंद्रा पाई ॥
मुंद्रा पाइ फिरै संसारि ॥
जिथै किथै सिरजणहारु ॥
जेते जीअ तेते वाटाऊ ॥
चीरी आई ढिल न काऊ ॥
एथै जाणै सु जाइ सिञाणै ॥
होरु फकड़ु हिंदू मुसलमाणै ॥
सभना का दरि लेखा होइ ॥
करणी बाझहु तरै न कोइ ॥
सचो सचु वखाणै कोइ ॥
नानक अगै पुछ न होइ ॥२॥(952)॥

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