हरेक बात न क्यों ज़ह्र-सी हमारी लगे-दर्द आशोब -अहमद फ़राज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmed Faraz,
हर एक बात न क्यूँ ज़ह्र-सी हमारी लगे
कि हमको दस्ते-ज़माना से ज़ख़्म कारी लगे
उदासियाँ हों मुसलसल तो दिल नहीं रोता
कभी-कभी हो तो ये क़ैफ़ियत भी प्यारी लगे
बज़ाहिर एक ही शब है फ़िराक़े-यार मगर
कोई गुज़ारने बैठे तो उम्र सारी लगे
इलाज इस दर्दे-दिल-आश्ना का क्या कीजे
कि तीर बन के जिसे हर्फ़े- ग़मगुसारी लगे
हमारे पास भी बैठो बस इतना चाहते हैं
हमारे साथ तबीयत अगर तुम्हारी लगे
‘फ़राज़’ तेरे जुनूँ का ख़याल है वर्ना
ये क्या ज़रूर कि वो सूरत सभी को प्यारी लगे