हउ मै करी तां तू नाही तू होवहि हउ नाहि-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हउ मै करी तां तू नाही तू होवहि हउ नाहि-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हउ मै करी तां तू नाही तू होवहि हउ नाहि ॥
बूझहु गिआनी बूझणा एह अकथ कथा मन माहि ॥
बिनु गुर ततु न पाईऐ अलखु वसै सभ माहि ॥
सतिगुरु मिलै त जाणीऐ जां सबदु वसै मन माहि ॥
आपु गइआ भ्रमु भउ गइआ जनम मरन दुख जाहि ॥
गुरमति अलखु लखाईऐ ऊतम मति तराहि ॥
नानक सोहं हंसा जपु जापहु त्रिभवण तिसै समाहि ॥१॥(1092)॥