हउ मुआ मै मारिआ पउणु वहै दरीआउ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हउ मुआ मै मारिआ पउणु वहै दरीआउ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

हउ मुआ मै मारिआ पउणु वहै दरीआउ ॥
त्रिसना थकी नानका जा मनु रता नाइ ॥
लोइण रते लोइणी कंनी सुरति समाइ ॥
जीभ रसाइणि चूनड़ी रती लाल लवाइ ॥
अंदरु मुसकि झकोलिआ कीमति कही न जाइ ॥२॥(1091)॥