सो तो है खचेरा -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

सो तो है खचेरा -सो तो है-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar ,

गरीबी है- सो तो है,
भुखमरी है – सो तो है,
होतीलाल की हालत ख़स्ता है
-सो तो ख़स्ता है,
उनके पास कोई रस्ता नहीं है
– सो तो है।

पांय लागूं, पांय लागूं बौहरे
आप धन्न हैं,
आपका ही खाता हूं
आपका ही अन्न है।
सो तो है खचेरा !

वह जानता है
उसका कोई नहीं,
उसकी मेहनत भी उसकी नहीं है
– सो तो है।