सैनिक-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral 

सैनिक-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral

मारने और मरने का काम कौन लेता
यह कठिन काम जो करता, वह सैनिक होता,
जैसे चाहे, जब चाहे मौत चली आए
जो नहीं तनिक भी डरता, वह सैनिक होता।

यह नहीं कि वह वेतनभोगी ही होता है
वह मातृभूमि का होता सही पुजारी है,
अर्चन के हित अपने जीवन को दीप बना
उसने माँ की आरती सदैव उतारी है।

पैसा पाने के लिए कौन जीवन देगा
जीवन तो धरती माँ के लिए दिया जाता,
धरती के रखवाले सैनिक के द्वारा ही
है जीवन का सच्चा सम्मान किया जाता।

यह नहीं कि वह अपनी ही कुर्बानी देता
दुख के सागर में वह परिवार छोड़ जाता,
जब अपनी धरती-माता की सुनता पुकार
तिनके जैसे सारे सम्बन्ध तोड़ जाता।

सैनिक, सैनिक होता है, वह कुछ और नहीं
वह नहीं किसी का भाई पुत्र और पति है,
कर्त्तव्यसजग प्रहरी वह धरती माता का
जो पुरस्कार उसका सर्वोच्च, वीर-गति है।

सैनिक का रिश्ता होता अपनी धरती से
वह और सभी रिश्तों से ऊपर होता है,
जब जाग रहा होता सैनिक, हम सोते हैं
वह हमें जगाने, चिर्रनिद्रा में सोता है।