सलोक -गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji 2

सलोक -गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji 2

नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु

नालि इआणे दोसती वडारू सिउ नेहु ॥
पाणी अंदरि लीक जिउ तिस दा थाउ न थेहु ॥4॥474॥

बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु

बधा चटी जो भरे ना गुणु ना उपकारु ॥
सेती खुसी सवारीऐ नानक कारजु सारु ॥3॥787॥

तुरदे कउ तुरदा मिलै उडते कउ उडता

तुरदे कउ तुरदा मिलै उडते कउ उडता ॥
जीवते कउ जीवता मिलै मूए कउ मूआ ॥
नानक सो सालाहीऐ जिनि कारणु कीआ ॥2॥788॥

जां सुखु ता सहु राविओ दुखि भी सम्हालिओइ

जां सुखु ता सहु राविओ दुखि भी सम्हालिओइ ॥
नानकु कहै सिआणीए इउ कंत मिलावा होइ ॥2॥792॥

साहिबि अंधा जो कीआ करे सुजाखा होइ

साहिबि अंधा जो कीआ करे सुजाखा होइ ॥
जेहा जाणै तेहो वरतै जे सउ आखै कोइ ॥
जिथै सु वसतु न जापई आपे वरतउ जाणि ॥
नानक गाहकु किउ लए सकै न वसतु पछाणि ॥2॥954॥

गुरु कुंजी पाहू निवलु मनु कोठा तनु छति

गुरु कुंजी पाहू निवलु मनु कोठा तनु छति ॥
नानक गुर बिनु मन का ताकु न उघड़ै अवर न कुंजी हथि ॥1॥1237॥

कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि

कीता किआ सालाहीऐ करे सोइ सालाहि ॥
नानक एकी बाहरा दूजा दाता नाहि ॥
करता सो सालाहीऐ जिनि कीता आकारु ॥
दाता सो सालाहीऐ जि सभसै दे आधारु ॥
नानक आपि सदीव है पूरा जिसु भंडारु ॥
वडा करि सालाहीऐ अंतु न पारावारु ॥2॥1239॥

कथा कहाणी बेदीं आणी पापु पुंनु बीचारु

कथा कहाणी बेदीं आणी पापु पुंनु बीचारु ॥
दे दे लैणा लै लै देणा नरकि सुरगि अवतार ॥
उतम मधिम जातीं जिनसी भरमि भवै संसारु ॥
अम्रित बाणी ततु वखाणी गिआन धिआन विचि आई ॥
गुरमुखि आखी गुरमुखि जाती सुरतीं करमि धिआई ॥
हुकमु साजि हुकमै विचि रखै हुकमै अंदरि वेखै ॥
नानक अगहु हउमै तुटै तां को लिखीऐ लेखै ॥1॥1243॥

सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु

सावणु आइआ हे सखी जलहरु बरसनहारु ॥
नानक सुखि सवनु सोहागणी जिन्ह सह नालि पिआरु ॥2॥1280॥