सतिगुरु धरती धरम है-श्लोक -गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji
सतिगुरु धरती धरम है तिसु विचि जेहा को बीजे तेहा फलु पाए ॥
गुरसिखी अम्रितु बीजिआ तिन अम्रित फलु हरि पाए ॥
ओना हलति पलति मुख उजले ओइ हरि दरगह सची पैनाए ॥
इकन्हा अंदरि खोटु नित खोटु कमावहि ओहु जेहा बीजे तेहा फलु खाए ॥
जा सतिगुरु सराफु नदरि करि देखै सुआवगीर सभि उघड़ि आए ॥
ओइ जेहा चितवहि नित तेहा पाइनि ओइ तेहो जेहे दयि वजाए ॥
नानक दुही सिरी खसमु आपे वरतै नित करि करि देखै चलत सबाए ॥1॥302॥