सउ ओलाम्हे दिनै के राती मिलन्हि सहंस-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
सउ ओलाम्हे दिनै के राती मिलन्हि सहंस ॥
सिफति सलाहणु छडि कै करंगी लगा हंसु ॥
फिटु इवेहा जीविआ जितु खाइ वधाइआ पेटु ॥
नानक सचे नाम विणु सभो दुसमनु हेतु ॥२॥(790)॥