श्री गुरू नानक देव जी अते  बुलबुलां दी अभिलाख-कविताएं-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

श्री गुरू नानक देव जी अते  बुलबुलां दी अभिलाख-कविताएं-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

चड़्ह असमानीं चन्द कूक्या:- ‘गुर नानक कल आसन’ ।
झुरमट घत्त बुलबुलां धाईआं करदियां वाक बिलासन:-
‘गुर नानक कीरतन दे पयारे कीरतन चलो सुणाईए,
तरुट्ठ पए तां नाल आपने अरशां नूं लै जासन’ ।