शुभकामनाएं नए साल की -इसलिए बौड़म जी इसलिए-अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,
(बच्चे के बस्ते से लेकर ताप के प्रताप से दमकते हुए आप तक को)
बच्चे के बस्ते को, हर दिन के रस्ते को
आपस की राम राम, प्यार की नमस्ते को
उस मीठी चिन्ता को, गली से गुज़रते जो
पूछताछ करे हालचाल की,
शुभकामनाएं नए साल की!
सोचते दिमाग़ों को, नापती निगाहों को
गारे सने हाथों को, डामर सने पांवों को
उन सबको जिन सबने, दिन रात श्रम करके
सडक़ें बनाईं कमाल की, शुभकामनाएं..!
आंगन के फूल को, नीम को बबूल को
मेहनती पसीने को, चेहरे की धूल को
उन सबको जिन सबकी, बिना बात तनी हुई
तिरछी हैं रेखाएं भाल की, शुभकामनाएं..!
दिल के उजियारे को, प्यारी को प्यारे को
छिपछिप कर किए गए, आंख के इशारे को
दूसरा भी समझे और, ख़ुश्बू रहे ज्यों की त्यों
हमदम के भेंट के रुमाल की, शुभकामनाएं..!
हरियाले खेत को, मरुथल की रेत को
रेत खेत बीच बसे, जनमन समवेत को
खुशियां मिलें और भरपूर खुशियां मिलें
चिन्ता नहीं रहे रोटी दाल की, शुभकामनाएं..!
भावों की बरात को, कलम को दवात को
हर अच्छी चीज़ को, हर सच्ची बात को
हौसला मिले और सब कुछ कहने वाली
हिम्मत मिले हर हाल की, शुभकामनाएं..!
टाले घोटाले को, सौम्य छवि वाले को
सदाचारी जीवन को, शोषण पर ताले को
जीवन के ताप को, ताप के प्रताप को
ताप के प्रताप से, दमकते हुए आपको
पहुंचाता हूं अपने दिल के कहारों से
उठवाई हुई दिव्य शब्दों की पालकी!
शुभकामनाएं नए साल की!