शायरी -श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht Part 5

शायरी -श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht Part 5

47-
रातभर उनकी यादों की तन्हाइयां डंसती रही
सुबह तक ख्वाब मुकमल ना हो पाया,
हाय यह ज़ालिम कैसा प्यार
फिर कोई आशिक रात भर न सो पाया ।
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ए खुदा उनके ही घर के आगे से मेरा जनाजा निकले
तेरे सीने मैं बैसक मेरे जाने का गम ना हो,
पर मेरे होठों पर तेरे लिए ही दुआ निकले ।


मेरे सीने मैं दफन हैं कई राज
इश्क, वफ़ा ओर बेवफाई ।


मेरे रकीब तुझे खुदा, खुश रखे
मेरे महबूब को आदत है घर बदलने की ।


तेरी तस्वीर से लिपट कर, रो दूं या तेरी यादों से
कमबख्त इश्क करना पड़ा यहां बहुत महंगा ।

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48-
प्यार मैं ऐ बिष्ट, बस इतना ही काफी है
जब होता हूँ मैं उदास
वो अपने कंधे पर, मेरा सर रख देती है ।

हमनें की उनकी रूह से मोहब्बत
वो कम्बख्त प्यार के बाज़ीगर निकले ।

अपने हालातों पे जब भी तुम्हें रोना आएगा
तुम महसूस कर लेना –
मेरा प्यार, मेरे संग बिताए हूए वो दिन ।

तेरी गली का वो घर
अब मेरे लिए सिर्फ एक
मकान ही रह गया ।

मुझसे बेवफाई करने वाले
मेरे हिस्से का कुछ दर्द तुम भी ले जाते
तुम्हीं ने तो कहा था – दो दिल एक जान हैं हम।

तुम्हारा इंतेजार करते होंगे तुम्हारे अपने
मेरे हिस्से, उनकी यादें
ओर सिर्फ ये मेरे घर की चारदीवारी ।

कभी मिलना मुझसे अकेले मैं
घाव, अभी भी हरे हैं देख लेना ।

बचपन में वो खिलौनों से खेलते थे
बड़े होकर दिल से,
कम्बख्त उन्होंने आदत अभी भी नहीं बदली ।

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49-
सुनो मेरी रूह मैं तुम्हारी यादें बहुत बसी हैं
जाते-जाते इन्हें भी किसी श्मशान में दफना देना ।

आहिस्ता आहिस्ता चल ए जिंदगी
मुझे तेरी तलाश है, मौत की नहीं ।

दे सकते हो तो,
मुझे तुम मेरी वो रातों की नींद भी दे जाना
जो कभी मैंने तुम्हारे लिए खोई थी ।

उफ्फ इस दुनिया के रीति-रिवाजों ने
तुम्हें भी मजबूर कर दिया होगा,
हमें पता है –
हर इश्क के अंत की यही कहानी है ।

कमबख्त यह इश्क भी बहुत काबिल चीज है
उनकी बेवफाई ने मुझ नाकामें को भी शायर बना दिया ।

यह तुम गीले,शिकवे बाद मैं कर लेना
पहले जो वादे किए थे उन्हें निभा लो ।

उन्होंने जब भी मेरी चौखट पर दस्तक दी है
मेरी यह झोपड़ी महल हो गई ।

ऐ जिंदगी मुझे इतनी भी खुशी ना दिया कर
मैंने सुना है तू, सूत समेत सब कुछ वापस ले लेती हैं ।

यह जो तुम,
जिंदगी भर साथ निभाने की बात करते हो
यह तेरे वादें हैं –
या सिर्फ रातों वाले इश्क की खुमारी ।

ये जो तुम लोगों के अंदर मजहब की बहुत आग है
जाओ इस आग से किसी गरीब का चूल्हा जलाओ ।

शहर की हवाओं मैं अभी मजहब का शोर है
अरे मियां दूर से ही दुआ, सलाम कर लिया करो ।

उन्होंने कहा हमें भूल जाना
ओर हमें यह बात हमेशा याद रही ।

सुना है दिल मैं बहुत बातें दबाए बैठे हो
आओ फिर एक, एक चाय हो जाए ।

ए प्रिये जब भी तुम मुझसे मीलों
अपने हाथों की मखमली छुवन से
मेरी हथेलियों को दबा दिया करो ।

अब तो रंग बदलना छोड़ दो
होली खत्म हो गई है ।

उन्होंने शहर क्या बदला, दिल भी अपने बदल लिए
माँ सही कहती थी, शहर बेमानों का है ।

बहुत मुदतों से सोया था, रात की चादर मैं
उफ्फ फिर यह कमबख्त तेरी याद आ गई ।

मेरी रूह को अपने अंदर खींच लो
ये मुझे, तुम्हें भूलने नहीं देती ।

मुझको दफना देना सफेद चादर मैं
जाते, जाते भी उनकी ख्वाहिश पूरी हो जाय
जो कहते थे मुझे सफेद रंग अच्छा लगता है ।

मैं तेरी तारीफ नही कर सकता
डर लगता हैं कहीं तुम
कोई दूसरा आइना ना ढूढ़ लो ।

तुम्हें हमसे मोहब्बत है
या जाल में एक कबतुर ओर फसाए हूए हो ।

खुद की रंगीन शामें करके
अब किसका घर उजाड़ कर आए हो ।

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50-
ए प्रकृति – मुझे भी समेट ले अपनी गोद में,
इतनी रंगत- इस जहाँ में और कहां ।

एक कब्र मेरी भी खुदवा देना अपने बगल में
मेरी आदत मैं शुमार है तुझसे लिपटना ।

ए खुदा मुझे इश्क ना हो किसी से
मैंने घुट, घुट कर मरते देखा हैं यहाँ अपनों को ।

खुद को बेकसूर बताने वाली
आज भी हर गली, शहर मैं तेरे ही चर्चे हैं ।

ये तेरी, मेरी दूरियां होने से अच्छा है
कि तुम मुझे अपनी मन्नत का ताबीज बना लो ।

जिंदगी रही तो फिर मिलेंगे ए दोस्त
नही तो यादों में याद कर लेना ।

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51-
मेरी जिंदगी भी सिगरेट के धुएं की तरह हो गई है
हर बार कुछ लम्हे तुम्हारी याद में उड़ा देता हूं ।

रोज कहती हो मैं तुम से मिलूंगी
और इस आस में हम सोएं भी नहीं है ।

मेरा दिल भी तेरे आने के बाद कश्मीर बन गया
आए दिन हादसें होते, रहते हैं ।

उन्होंने बदुआ मैं हमारी मोत माँगी
हमने कहा हमें कबूल है ।

ये सुलगती चिता की लकड़ियां गवाह हैं
फिर कोई आशिक बेवफाई मैं मरा है ।

फिर उनका मेरे करीब से गुज़र जाना
मेरी जिंदगी मैं किसी हादसे से कम नहीं ।

मैंने तुम्हारी हर फरमाइश पूरी की है
देख लेना मैंने अभी भी अपनी DP चेंज नहीं की ।

मुझे पता है एक दिन तुम मुझे धोखा दोगी
फिर एक ओर आशिक पागल हो जाएगा ।

मुझे गिला नहीं अपने अकेलेपन से
मुझे नाराजगी है तेरी यादों से
कमबख्त बेवक़्त आ जाती हैं ।

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52-
चाँद को गुमान था अपने पर
मैंने उसे अपने महबूबा का दीदार करा दिया
उफ्फ यह चाँद भी !!

उसने कहा मैं तुमसे बेहद प्यार करती हूं
मैंने कहा हट नासमझ,मेरी माँ जैसा नहीं ।

जब भी वह मुझसे मिलकर जाती है
छोड़ जाती है अपनी यादें
ओर मेरे हिस्से तन्हाइयां !!

तुम मुझे भूलने से पहले
एक बार फिर इश्क करके देखना ।

मुझे उसके प्यार पर तब ऐतबार हूआ
जब उसने अपने बच्चे का नाम
मेरे नाम पर रखा !!

मुझे डर था अपनी मौत से
ओर कम्बख्त मुझे इश्क हो गया
उफ्फ यह इश्क भी !!

वो पी लेते हैं मयखानों मैं जाकर शराब
ओर एक हम हैं
जब से उन्हें देखा है नशा उतरा ही नहीं
उफ्फ उनकी ये आँखें !!

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53-
सुनों मैं भी तो जल रहा हूं
तेरी याद में !!

वो अब अकेले, अकेले हंसता और रोता है
ए खुदा क्या उसको भी अब इश्क हुआ है

उफ्फ यह इश्क भी !!

वह जब भी आती है भर लेती है मुझे अपनी बाहों में
जैसे उसे अपना सारा संसार मिल गया हो ।

सुनो जब भी आओगे दबे पांव आना
शहर के लोगों की जुबान में जहर है ।

उस बेवफा ने हर तरकश के तीर चलाएं
दिल मैं मेरे ज़ख्म देनें के लिए

या रब उनकी यह बेवफ़ाई !!

वह खुद को बेकसूर बता रही थी
जनाजे में मेरे आकर ।

देखों तुम्हारे जाने के बाद मैंने
बिस्तरे की सिलवटें भी नही हटाई ।

रात भर उनकी यादें छानी
सुबह भी दर्द ही मिला ।

उनके प्यार में कुछ इस कदर गिरफ्त हुए
जैसे वह कोई जादु, टोना जानती हो ।

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54-
वह अब मेरे लिए “रोजे ” रखने लगी है
आज अल्लाह, भगवान एक हो गए ।
उफ्फ ये धर्म के झगडे !!

मुझे “Follow” मत करो
मेरी जिंदगी मैं
” गम ” के सिवा कुछ नही !

उसने पूछा तुम्हारे दिल मैं क्या है
मेने कहाँ – ” इंकलाब ”
ओर वह कम्भख्त ” रुखसत ” हो गई !

हजारों ” माँ ” रोज मार खाती हैं पिता से
ओर हम ” मातृ दिवस ” मनाते हैं !!

तेरा मुझसे मिलने आना भी, भूकंप से कम नहीं
जब भी आती हो, बवाल हो जाता है ।

वह मजदूर ” मजबुर ” था साहब,
इसलिए मर गया
अमीर होता तो –
अब समझ भी जाओ !!

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55-
बहुत दूर तक जाएगी मेरी आवाज
सुना है टूटने पर आवाज बहुत होती है ।

बहुत टूटा हुआ सामान है मेरे घर में
एक दिल भी है मेरा जो मिल नहीं रहा
क्या तुमने देखा !!

ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
वह नूर कहां है –
जिनके आने से कभी यह घर रोशन हुआ करता था
उफ्फ अब तो आ जाओ !!

मेरे घर की अब हर चीज टूट जाती है
जब से उन्होंने मेरी दहलीज छोड़ी ।

हमनें उनकी दी हूई हर चीज संभाली है
देख लेना सिनें में मेरे दो दिल हैं ।

वह जब भी मुझसे मिल कर जाती है
मैं उनकी यादों के उन हिस्सों को
अपने जहन में उम्र कैद कर लेता हु !
उफ्फ उनकी ये यादें !!

मत पुछ साकी मुझसे हाल मेरा
किन, किन हालातों से होकर गुजरें हैं
जब से टूटा है दिल मेरा
हम गूँगे, अँधे, बहरें, हुए हैं ।

ए जिंदगी मुझे पता है, एक दिन तू भी मुझे धोखा देगी
फिर एक और शख्स, तेरी आगोश में सो जाएगा !
उफ्फ यह मौत भी ।

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56_
कितना सकून है इन , इंसानों की कब्र पर आकर
जीते जी , जो ये शोर बहुत करा करते थे ।
_
खुद से ही बातें कर लेता हूं , तुम्हारी
इस घर में कमबख्त तुम्हारी यादों के सिवा
रहता ही कौन है !
_
जीने के लिए क्या चाहिए
तुम और तुम्हारा इश्क ।
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बहुत गहरे घाव है दिल में मेरे
इन्हें दुआ , दवा की जरूरत नहीं
सिर्फ तेरा साथ चाहिए !!
_
मेरी जिंदगी के कुछ पन्ने अधूरे हैं
आओ आकर इन पर अपना नाम लिख दो ।
_
बहुत गम है जिंदगी में
और एक कमबख्त तुम हो कि
बार-बार रूठ जाती हो !!

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57_
बहुत नामुमकिन है तुम्हें भूल जाना
और मुमकिन यह भी नहीं
की हम तुम्हें याद ना आए !
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साजिशों , रंजिशों, के इस दौर में
अपना दिल ए दर्द, बताएं किस नाचीज को ।
ए मेरे दोस्त, यहां हर कोई कमबख्त,
अब मल्लहम लिए हाथ में नहीं फिरता ।।
_
जिन्दगी कुछ इस कदर रूठ गई है हमसे
अब तो मौत भी,
अपनी राह हमसे बदल लेती है ।
_
ए रब मेरे मरने की खबर उस तक पहुंचा देना
सुना है आज वह तेरे दर पर आने वाली है !!
_
मैं उसी पल मर जाऊंगा ,
जहां से तुम मुझे छोड़ दोगी !!

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