शायरी -श्याम सिंह बिष्ट -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shyam Singh Bisht Part 2
12 –
ऐ कान्हा अब तेरे शहर में
मुरली खरीदने वाला कोई नहीं
सब लोगों को D.J का चस्का लग गया
कोई इधर गया कोई उधर गया ।
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13 –
हृदय चंचल, मन चंचल,चंचल यह सारा जहां
प्रभु विराजे भितर हमारे, हम ढूंढे यहां वहां ।
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14-
वौ राह देखती होगी हमारा
अपने दरवाजे की चोखट पर खड़े होकर
और एक हम है कि यहां,
जिंदगी की उल्फत में पड़े हुए हैं ।
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15 –
बीते हुए समय को याद करने पर,
इंसान को दो ही चीजें मिलती है
या तो खुशी, या फिर घाव ।
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16 –
आज पलकें भीगी हैं उनकी,
हमारी याद मैं,
लगता है आज फिर बरसात होगी ।
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17 –
जब, जब हूई यह बारिश,
मुझे तेरा आंचल याद आया है ।
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18-
तेरी याद
जंगल मैं लगी उस आग की तरह है
जिसमें सिर्फ मैं ही जला हूँ ।
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19-
मैनें रूह से तेरी मोहब्बत की है
जिस्म तो बाजारों मैं
कई मिल जाते हैं ।
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20-
मैं आज फिर उस गली से गुजरा
जिस गली में तेरा वो मकान था ।
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21-
उनसे कोई कह दे
यूँ रोज सपनो मैं ना आया करे
हमें आज कल नींद अब कम आती है ।
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22-
ना जाने
मेरे दिल का चालान कब कटेगा
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23-
अब तो मेरा पीछा छोड़
ए नादान जिंदगी
तेरे शहर में, मैं ही तो एक शख्स
गमों से मारा नहीं ।
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24-
आजकल मेरी आंखें सोती नहीं
ना जाने इनको किसका इंतजार है ।
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25-
ऐ जिंदगी –
थोड़ी सी मोहल्लत और दे, दे
अभी तो मैंने, उन्हें
जी भर देखा भी नहीं ।
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