विसमादु नाद विसमादु वेद-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
विसमादु नाद विसमादु वेद ॥
विसमादु जीअ विसमादु भेद ॥
विसमादु रूप विसमादु रंग ॥
विसमादु नागे फिरहि जंत ॥
विसमादु पउणु विसमादु पाणी ॥
विसमादु अगनी खेडहि विडाणी ॥
विसमादु धरती विसमादु खाणी ॥
विसमादु सादि लगहि पराणी ॥
विसमादु संजोगु विसमादु विजोगु ॥
विसमादु भुख विसमादु भोगु ॥
विसमादु सिफति विसमादु सालाह ॥
विसमादु उझड़ विसमादु राह ॥
विसमादु नेड़ै विसमादु दूरि ॥
विसमादु देखै हाजरा हजूरि ॥
वेखि विडाणु रहिआ विसमादु ॥
नानक बुझणु पूरै भागि ॥१॥(463)॥