विद्या छंद ‘मीत संवाद’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep 

विद्या छंद ‘मीत संवाद’-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep

 

सुना मीत प्रेम का गीत, आ महका दें मधुशाला।
खुले आज हृदय के द्वार, ले हाथों में मधु प्याला।।
बढ़ो मीत चूम लो फूल, बन मधुकर तुम मतवाला।
करो नृत्य झूम कर आज, रख होठों पर फिर हाला।।

चलो साथ पकड़ लो हाथ, कह दो मन की सब बातें।
बजे आज सुखद सब साज, हो खुशियों की बरसातें।
बहे प्रेम गंग की धार, हम गोता एक लगायें।
कटी जाय उम्र की डोर, मन में नव जोश जगायें।।

लगी होड़ रहा जग दौड़, गिर उठकर ही सब सीखा।।
लगे स्वाद कभी बेस्वाद, है जीवन मृदु कुछ तीखा।
कभी छाँव कभी है धूप, सुख-दुख सारे कहने हैं।
मधुर स्वप्न नयन में धार, फिर मधु झरने बहने हैं।

रहे डोल जगत के लोग, जग मधु का रूप नशीला।
पथिक आय चला फिर जाय, है अद्भुत सी यह लीला।।
रहे शेष दिवस कुछ यार, जग छोड़ हमें चल जाना।
करें नृत्य हँसें हम साथ, गा कर मनभावन गाना।।
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विद्या छंद विधान-

विद्या छंद 28 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है।
चार पदों के इस छंद में दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

122 (यगण)+ लघु + त्रिकल + चौकल + लघु ,
गुरु + छक्कल + लघु + लघु + गुरु + गुरु

1221 3 221, 2 2221 1SS

चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।
छक्कल (3+3 या 4+2 या 2+4) हो सकते हैं।

अंत में दो गुरु (22) अनिवार्य होता है।
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