विणु गाहक गुणु वेचीऐ तउ गुणु सहघो जाइ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
विणु गाहक गुणु वेचीऐ तउ गुणु सहघो जाइ ॥
गुण का गाहकु जे मिलै तउ गुणु लाख विकाइ ॥
गुण ते गुण मिलि पाईऐ जे सतिगुर माहि समाइ ॥
मोलि अमोलु न पाईऐ वणजि न लीजै हाटि ॥
नानक पूरा तोलु है कबहु न होवै घाटि ॥१॥(1086)॥