लेनिनगराड का गोरिसतान-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

लेनिनगराड का गोरिसतान-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz

सर्द सिलों पर
ज़रद सिलों पर
ताज़ा गरम लहू की सूरत
गुलदस्तों के छींटे हैं
कतबे सब बे-नाम हैं लेकिन
हर इक फूल पे नाम लिखा है
ग़ाफ़िल सोनेवाले का
याद में रोनेवाले का
अपने फ़रज़ से फ़ारिग़ होकर
अपने लहू की तान के चादर
सारे बेटे ख़्वाब में हैं
अपने ग़मों का हार पिरोकर
अंमां अकेली जाग रही है