लीला छंद (शराब लत)-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep
मच जाता नित बवाल।
पत्नी पूछे सवाल।।
क्यूँ पीते तुम शराब?
लत पाली क्यों खराब?
रिश्ते सब तारतार।
चौपट है कारबार।।
रख डाला सब उजाड़।
जीवन मेरा बिगाड़।।
समझो तुम क्यों न बात?
लत ये है आत्मघात।।
लगता है डर अपार।
आदत लो तुम सुधार।।
मद की यह घोर प्यास।
रोके आत्मिक विकास।।
बात न मेरी नकार।
कुछ तो करलो विचार।।
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लीला छंद विधान –
लीला छंद बारह मात्रा प्रति पद का मात्रिक छंद है
जिसका चरणान्त जगण (121) से होना अनिवार्य होता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + जगण(121) =12 मात्राएँ
अठकल में 4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।
दो दो चरण समतुकांत होने चाहिए।
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