लक्षण- भग्नदूत अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
आँसू से भरने पर आँखें और चमकने लगती हैं।
सुरभित हो उठता समीर जब कलियाँ झरने लगती हैं।
बढ़ जाता है सीमाओं से जब तेरा यह मादक हास,
समझ तुरत जाता हूँ मैं-‘अब आया समय बिदा का पास।’
दिल्ली जेल, दिसम्बर, 1931