मुझमें ज्योति और जीवन है-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral
मुझमें ज्योति और जीवन है
मुझमे यौवन ही यौवन है।
मुझमें ज्योति और जीवन है।
मुझे बुझा कर देखे कोई
बुझने वाला दीप नहीं मैं,
जो तट पर मिल जाया करती
ऐसी सस्ती सीप नहीं मैं।
शब्द-शब्द मेरा मोती है,
गहन अर्थ ही सच्चा धन है।
मुझमें ज्योति और जीवन है।।
रुक जाने को चला नहीं मैं
चलते जाना जीवन-क्रम है,
बुझ जाने को जला नहीं मैं
जलते जाना नित्यनियम है।
मैं पर्याय उजाले का हूँ,
अंधियारे से चिर-अनबन है।
मुझमें ज्योति और जीवन है।।
हलकी बहुत मानसिकता यह
शिकवे या शिकायतें करना,
हलकी बहुत मानसिकता यह
हलकेपन पर कभी उतरना।
आने नहीं दिया मैंने यह,
अपने मन में हलकापन है।
मुझमें ज्योति और जीवन है।।
वर्ष, मास, दिन रहा भुनाता
हर क्षण का उपयोग किया है,
तुम हिसाब कर लो, देखोगे
लिया बहुत कम, अधिक दिया है।
यही गणित मेरे जीवन का,
यही रहा मेरा चिन्तन है।
मुझमें ज्योति और जीवन है।।