मिलो तो यूं मिलो-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

मिलो तो यूं मिलो-गुरभजन गिल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gurbhajan Gill

 

मिलो तो यूं मिलो
जैसे फूलों को रंग मिलते हैं।
रंगों को खुशबू
और खुशबू को एहसास।

मिलो तो यूं मिलो
जैसे तपती धरती को
पानी मिलता है।
जैसे बिरहन को सुहाग।
पवित्र कंठ को राग।

मिलो तो यूं मिलो
जैसे वृक्ष को हवा मिलती है।
पत्तों में से गीत गाती लाँघती
हदों सरहदों से आर पार।

मिलो तो यूं मिलो
जैसे अलग ही नहीं थे कभी।
साँसों में घुल जाओ
जैसे पहली झलक।

मिलो तो यूं मिलो
जैसे रूप के दुपहरे,
दरस-प्यासे को
अचानक सजन मिल जाए।

मिलो तो यूं मिलो
जैसे धड़कन को उच्छवास मिलता है।
बेरोक टोक,
नंगे धड़ निर्वस्त्र होकर।

मिलो तो यूं मिलो
कि
वक्त ठहर जाए।
कलाई पर बँधी घड़ियाँ
दुश्मन लगें।

मिलो तो यूं मिलो
कि सदियों से साथ हैं।
साथ साथ चलते
हमकदम हमराज़
एक सुर एक आवाज़।

मिलो तो यूं मिलो
जैसे ढलती शामों में
धरती को आसमान मिलता है।
गोधूली में सूरज अस्त होता है
सवेरे फिर मिलने की तरह।

यह कहते अब जाने दो
फिर मिलेंगे।

 

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