माता प्रीति करे पुतु खाइ-गुरू राम दास जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Ram Das Ji
माता प्रीति करे पुतु खाइ ॥
मीने प्रीति भई जलि नाइ ॥
सतिगुर प्रीति गुरसिख मुखि पाइ ॥१॥
ते हरि जन हरि मेलहु हम पिआरे ॥
जिन मिलिआ दुख जाहि हमारे ॥१॥ रहाउ ॥
जिउ मिलि बछरे गऊ प्रीति लगावै ॥
कामनि प्रीति जा पिरु घरि आवै ॥
हरि जन प्रीति जा हरि जसु गावै ॥२॥
सारिंग प्रीति बसै जल धारा ॥
नरपति प्रीति माइआ देखि पसारा ॥
हरि जन प्रीति जपै निरंकारा ॥३॥
नर प्राणी प्रीति माइआ धनु खाटे ॥
गुरसिख प्रीति गुरु मिलै गलाटे ॥
जन नानक प्रीति साध पग चाटे ॥੪॥੩॥੪੧॥੧੬੪॥