भारत-गगन-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

भारत-गगन-बाल कविता-श्रीधर पाठक -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shridhar Pathak

 

1

निरखहु रैनि भारत-गगन
दूरि दिवि द्युति पूरि राजत, भूरि भ्राजत-भगन

2

नखत-अवलि-प्रकाश पुरवत, दिव्य-सुरपुर-मगन
सुमन खिलि मंदार महकत अमर-भौनन-अँगन
निरखहु रैनि भारत-गगन

3

मिलन प्रिय अभिसारि सुर-तिय चलत चंचल पगन
छिटकि छूटत तार किंकिनि, टूटि नूपुर-नगन
निरखहु रैनि भारत-गगन

4

नेह-रत गंधर्व निरतत, उमग भरि अँग अँगन
तहाँ हरि-पद-प्रेम पागी, लगी श्रीधर लगन
निरखहु रैनि भारत-गगन

 

Comments are closed.