बोलगप्पे -बोलगप्पे -अशोक चक्रधर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ashok Chakradhar,
न ठुमरी, न ठप्पे,
न लारा, न लप्पे,
चुनो गोलगप्पे,
सुनो बोलगप्पे !
अचानक तुम्हारे पीछे कोई कुत्ता भौंके,
तो क्या तुम रह सकते हो बिना चौंके !
अगर रह सकते हो तो या तो तुम बहरे हो,
या फिर बहुत गहरे हो !