बाल कविताएँ -सोहन लाल द्विवेदी -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Sohan Lal Dwivedi Part 3
कौन ?
किसने बटन हमारे कुतरे?
किसने स्याही को बिखराया?
कौन चट कर गया दुबक कर
घर-भर में अनाज बिखराया?
दोना खाली रखा रह गया
कौन ले गया उठा मिठाई?
दो टुकड़े तसवीर हो गई
किसने रस्सी काट बहाई?
कभी कुतर जाता है चप्प्ल
कभी कुतर जूता है जाता,
कभी खलीता पर बन आती
अनजाने पैसा गिर जाता
किसने जिल्द काट डाली है?
बिखर गए पोथी के पन्ने।
रोज़ टाँगता धो-धोकर मैं
कौन उठा ले जाता छन्ने?
कुतर-कुतर कर कागज़ सारे
रद्दी से घर को भर जाता।
कौन कबाड़ी है जो कूड़ा
दुनिया भर का घर भर जाता?
कौन रात भर गड़बड़ करता?
हमें नहीं देता है सोने,
खुर-खुर करता इधर-उधर है
ढूँढा करता छिप-छिप कोने?
रोज़ रात-भर जगता रहता
खुर-खुर इधर-उधर है धाता
बच्चों उसका नाम बताओ
कौन शरारत यह कर जाता?
क्यों ?
1
क्यों बच्चों को नहीं सुहाता,
पढ़ना-लिखना, शाला जाना?
खेल-कूद में मन लगता,
दिन भर घर में धूम मचाना?
क्यों भाती मन को रंगरेली?
सुलझाए यह कौन पहेली?
2
क्यों पतंग उड़ती है ऊपर?
क्यों न कभी नीचे को आती?
और गेंद फेंको जो ऊपर,
तो वह फौरन नीचे आती,
चोट लगाते ठेला-ठेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
3
क्यों मेंढक पानी में रहते?
टर्रटों-टर्रटों गाना गाते,
क्यों न घोंसले में चढ़कर के
वे चिड़ियों को मार भागते?
जल में ही करते अठखेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
4
क्यों कोल्हू जब बैल चलाता,
उसकी आँख बंद की जाती?
तिल में से न कढ़ता है,
कितनी ही वह पेरी जाती,
कब मन में खुश होता तेली?
सुलझाए यह कौन पहेली?
5
क्यों स्याही होती है काली?
क्यों काला कागज न दिखाता
रंग-बिरंगी तस्वीरें लाख,
हरा-भरा मन है बन जाता,
क्यों भाते हैं सखा-सहेली?
सुलझाए यह कौन पहेली?
6
नहीं मदरसे अच्छे लगते,
भाता है छुट्टी का घंटा।
मजा न चुप रहने में मिलता,
मजा तभी जब बजता टंटा।
अच्छी लगती ठेलमठेली।
सुलझाए यह कौन पहेली?
7
चाचाजी क्यों दाढ़ी रखते,
बच्चों के मूँछें न दिखतीं?
क्यों चाची कंघी करती है,
अम्माँ अंजन रोज लगाती?
गुरु को भाते चेला-चेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
8
क्यों चींटी बिल में रहती है,
क्यों इनको है शक्कर भाती,
पानी में शक्कर डालो तो,
पल भर में वह घुल-मिल जाती,
चींटी को भाती गुड़ भेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
9
क्यों नटखट बच्चों को भाता
सदा पहेली को सुलझाना,
क्यों नानी को अच्छा लगता,
बच्चों के मन को उलझाना,
क्यों भाती है कथा-नवेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
10
संपादक जी को क्यों भाता,
बच्चों के मन को छलना?
क्यों बच्चों को अच्छा लगता,
संपादक का मन फुसलाना,
छिड़ती छेड़छाड़ अलबेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
11
क्यों मुझको अच्छा लगता है,
नई-नई नित कविता गढ़ना?
क्यों तुमको अच्छा लगता है,
नई-नई नित कविता पढ़ना?
क्यों भाता है फूल चमेली,
सुलझाए यह कौन पहेली?
प्रकृति-संदेश
पर्वत कहता शीश उठाकर,
तुम भी ऊँचे बन जाओ
सागर कहता है लहराकर,
मन में गहराई लाओ।
समझ रहे हो क्या कहती है
उठ-उठ गिर गिर तरल तरंग,
भर लो, भर लो अपने मन में,
मीठी-मीठी मृदुल उमंग।
पृथ्वी कहती- धैर्य न छोड़ो
कितना ही हो सिर पर भार,
नभ कहता है फैलो इतना
ढक लो तुम सारा संसार
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