परिचय।-राही चल : अनिल मिश्र प्रहरी (Anil Mishra Prahari)| Hindi Poem | Hindi Kavita,
मान नहीं, अपमान नहीं
थोड़े में ही जी लेता हूँ,
प्यासा हूँ प्यास बुझाने को
कुछ अश्क बहा पी लेता हूँ ।
कुछ भूले, कुछ भुला दिये
कुछ दर्द अभी तक सीने में,
होती मुझको तकलीफ नहीं
अब बहते आँसू पीने में।
हिम्मत, बल, विश्वास स्वयं पर
अग्निपथ पर चलता हूँ,
उतना तेज निखरता मेरा
जितना तिल- तिल जलता हूँ।
क्षुधित रहूँ मंजूर मुझे पर
सजग और अभिमानी हूँ,
जाति, धर्म, भाषा मत पूछो
पहले हिन्दुस्तानी हूँ।
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