पंजि निवाजा वखत पंजि पंजा पंजे नाउ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
पंजि निवाजा वखत पंजि पंजा पंजे नाउ ॥
पहिला सचु हलाल दुइ तीजा खैर खुदाइ ॥
चउथी नीअति रासि मनु पंजवी सिफति सनाइ ॥
करणी कलमा आखि कै ता मुसलमाणु सदाइ ॥
नानक जेते कूड़िआर कूड़ै कूड़ी पाइ ॥३॥(141)॥