नानक चुलीआ सुचीआ जे भरि जाणै कोइ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

नानक चुलीआ सुचीआ जे भरि जाणै कोइ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

नानक चुलीआ सुचीआ जे भरि जाणै कोइ ॥
सुरते चुली गिआन की जोगी का जतु होइ ॥
ब्रहमण चुली संतोख की गिरही का सतु दानु ॥
राजे चुली निआव की पड़िआ सचु धिआनु ॥
पाणी चितु न धोपई मुखि पीतै तिख जाइ ॥
पाणी पिता जगत का फिरि पाणी सभु खाइ ॥२॥1240)॥