दीवा बलै अंधेरा जाइ-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji
दीवा बलै अंधेरा जाइ ॥
बेद पाठ मति पापा खाइ ॥
उगवै सूरु न जापै चंदु ॥
जह गिआन प्रगासु अगिआनु मिटंतु ॥
बेद पाठ संसार की कार ॥
पड़्हि पड़्हि पंडित करहि बीचार ॥
बिनु बूझे सभ होइ खुआर ॥
नानक गुरमुखि उतरसि पारि ॥१॥
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