दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji
दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ ॥
तिन कउ किआ उपदेसीऐ जिन गुरु नानक देउ ॥1॥150॥
दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ-गुरू अंगद देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Angad Dev Ji
दीखिआ आखि बुझाइआ सिफती सचि समेउ ॥
तिन कउ किआ उपदेसीऐ जिन गुरु नानक देउ ॥1॥150॥