तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे-शाह शरफ़ -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shah Sharaf
तेरी चितवनि मीति प्यारे मन बउराना मोरा रे ।
इस चितवनि पर तनु मनु वारउ जो वारउ सो थोरा रे ।१।रहाउ।
प्रीति की रीति कठिन भई मितवा खिनै बनावत रोरा रे ।
जब लागिओ तब जानिओ नाहीं अबह परिओ जगि सोरा रे ।१।
जो पिया भावै साई सुहागनि क्या सावल क्या गोरा रे ।
बचनिनि मै किछु पेचि परिउ है मन अटक्यो तह मोरा रे ।२।
आओ प्यारे गल मिल रहिए इस जग मह जीवनु थोरा रे ।
शाह शरफ़ पिया दरसन दीजै मिटहि जनम के खोरा रे ।३।
(श्री राग राग)