तुझे पुकारा है बेइरादा-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
तुझे पुकारा है बेइरादा
जो दिल दुखा है बहुत ज़ियादा
नदीम हो तेरा हरफ़े-शीरीं
तो रंग पर आये रंगे-बादा
अता करो इक अदा-ए-देरीं
तो अश्क से तर करें लबादा
न जाने किस दिन से मुंतज़िर है
दिले-सरे-रहगुज़र फ़तादा
कि एक दिन फिर नज़र में आये
वो बाम रौशन वो दर कुशादा
वो आये पुरसिश को, फिर सजाये
कबा-ए-रंगीं अदा-ए-सादा