तगु न इंद्री तगु न नारी-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

तगु न इंद्री तगु न नारी-सलोक-गुरु नानक देव जी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Guru Nanak Dev Ji

तगु न इंद्री तगु न नारी ॥
भलके थुक पवै नित दाड़ी ॥
तगु न पैरी तगु न हथी ॥
तगु न जिहवा तगु न अखी ॥
वेतगा आपे वतै ॥
वटि धागे अवरा घतै ॥
लै भाड़ि करे वीआहु ॥
कढि कागलु दसे राहु ॥
सुणि वेखहु लोका एहु विडाणु ॥
मनि अंधा नाउ सुजाणु ॥४॥(471)॥